महानगर दिल्ली , यहाँ लोग सुबह शाम सफर करते है। कोई अपनी गाड़ी में ,कोई बाइक पर तो कोई बस में। मैं भी बस में सफर करती हूँ. दिन के तीन से चार घंटे मेरे बस में ही गुजरते है क्यूंकि मैं उत्तरी दिल्ली में रहती हूँ और मेरा कॉलेज ओखला में है। इस समय में मुझे लोगो को ओबजर्व करने का मौका मिलता है यह कुछ तस्वीरे मेरे सफर के कुछ पलों को दिखाने का प्रयास है सफर के दौरान मैंने देखा है की यह सफर लोगो के होते हुए भी उन्हें एक अनदेखे धागे में बाँध देता है।मासूम बचपन के लिए मैदान और बस में अन्तर नही


कॉलेज जाती हुए छात्रा


बस का करता धरता


किसी के लिए मज़ा किसी को लिए सज़ा


बस का रोज़ का सफर किसी ज़द्दोजहत से कम नही

फोटो फीचर : जयश्री