गर्दन और पीठ में आमतौर पर उठने वाले दर्द को अक्सर लोग मामूली समझते हैं। यही मामूली दर्द गंभीर बीमारी का इशारा है। काम करने के ग़लत तौर तरीकों का परिणाम है "रिपीटीटिव स्ट्रेस इंजरी" यानी आर एस आई या यूँ कहें कि बार-बार दबाब का दर्द। डॉक्टर संदीप गुप्ता ( ओर्थोपेडिक फिजियोथेरेपिस्ट ) का कहना है कि इस बीमारी के शिकार वो लोग ज़्यादा होते हैं जो घंटों कंप्यूटर पर काम करते हैं। घंटों काम करने से शरीर की किसी न किसी मांसपेशी पर ज़्यादा ज़ोर पड़ता है , जिसके कारण वो मांसपेशी कमजोर पड़ जाती है और काम करने में सक्षम नहीं रह पाती है। जिसके परिणामस्वरूप हमें अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में लगातार उठने वाले दर्द को सहना पड़ता है। डॉक्टर गुप्ता का मानना है कि यदि वक्त रहते इस बीमारी का इलाज नहीं कराया गया तो परेशानी इतनी बढ़ सकती है कि मरीज़ ना तो शर्ट का बटन बंद कर सकता हैं और ना ही चाय की प्याली ही उठा सकता हैं।
कनाट प्लेस के एच डी एफ सी बैंक मे कंप्यूटर ओपरेटर का काम करने वाली २३ वर्षीय मिनाक्षी, कमर दर्द से पीड़ित हैं। शुरू-शुरू में इन्होंने इस दर्द को सामान्य समझा पर दर्द ज़्यादा बढ जाने पर डॉक्टर ने इन्हें आर एस आई से ग्रस्त बताया और पूरे तरीके से एक महीने का बैड रेस्ट और फिजियोथेरपी की सलाह दी। ग्राफिक्स डिजाइनर व डी टी पी ( डेस्कटॉप पब्लिशिंग ) ओपरेटर २७ वर्षीय अमित शर्मा भी आर एस आई से पीड़ित हैं। लगातार माउस पकड़ने के कारण इनकी कलाई की मांसपेशियां कमज़ोर पड़ गई हैं। आलम यह है की अब अमित जब कभी हाथों से कुछ पकड़ने की कोशिश करते है तो उनकी कलाई में भयानक दर्द शुरू हो जाता है।
मौलाना आज़ाद हॉस्पिटल के सर्जन डॉक्टर यश कुमार मान का कहना है कि यदि लोग रोज़मर्रा की जिंदगी में थोड़ा बदलाव लाएँ तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। जैसे: लगातार काम करते हुए हर आधे घंटे में आराम लें, ६-८ हफ्तों में डॉक्टर से रूटीन चैकप करवाएं, योग और मेडिटेशन के लिए सुबह १०-१५ मिनट ज़रूर निकालें, खान पान पर ध्यान दें, प्रोटीन अधिक खाएं। विदेशी कंपनियों का उदहारण देते हुए डॉक्टर मान ने सलाह दी कि बड़ी-बड़ी कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए महीने में एक बार आर एस आई की जागरूकता के लिए वर्कशॉप करानी चाहिए।
ज्यादातर युवा वर्ग जिनकी औसत आयु तक़रीबन २२-२७ वर्ष के बीच होती है, आर एस आई के इन लक्षणों को गंभीरतापूर्वक नहीं लेते हैं। जिसके नतीजतन, यह मर्ज़ बढ़ते-बढ़ते महीनों बाद कईयों को नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर देता है।

आर एस आई के लक्षण
  • दर्द
  • जलन
  • अकडन
  • सूजन
  • सर्दी-जुकाम
  • सुन्न होना चेतनशून्यता
बचाव के टिप्स
  • लैपटॉप को गोद में ना रखे।
  • लैपटॉप स्टैंड का ही प्रयोग करें ।
  • कुर्सी के बैक रेस्ट पर पीठ की टेक लगाकर बैठें।
  • टाइपिंग करते वक्त कलाई को सहारे के बिना रहने दें ।