जनवरी का महिना खत्म हो चला है पर सर्दियाँ अब पूरे खुमार पर है हम जब सुबह अपने नर्म और गर्म बिस्तर से उठते है तो क्या हममें से कोई यह बात सोचता है की बीती रात कितने लोगों ने सड़क, पार्क या फ़िर किसी फुटपाथ पर काटी होगी। मैं और आप इस ठण्ड में रजाई से निकलने के बारे में भी नही सोच सकते लेकिन कुछ लोग पूरी रात बिना चद्दर के ही काट लेते है ये बहादुरी नही मजबूरी है । रोज़गार की तलाश में रोज़ बहुत से लोग दिल्ली आते है लेकिन दिल्ली में क्या अब लोगों का पेट भरने और उनके सर पर छत देने की शक्ति रह गई है ...?
फोटो फीचर: जयश्री