महंगाई की गिरफ़्त में सेहत भी
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Ramashankar Pandey
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By Journalism student
Posted By : Ramashanker Pandey
Photo By : Gargi Nim
महंगाई का यूं तो सभी पर असर पड़ा है लेकिन इसकी मार सबसे ज़्यादा गरीबों को ही झेलनी पड़ रही है । हमारे देश में मुद्रास्फीति की दर इन दिनों छह प्रतिशत से भी नीचे आ गई है, लेकिन सब्जियों और खाद्य पदार्थों की कीमतों में कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है । इसकी वजह से जो लोग सही मात्रा में डाइट नहीं ले पा रहे हैं, उन्हें सेहत से जुड़ी अनेक समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है ।
अर्थव्यवस्था में आए इस संकट ने किन लोगों पर ज़्यादा प्रभाव डाला है, इस बारे में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर व अर्थशास्त्री प्रोफेसर बी.बी भट्टाचार्या का कहना है, “महंगाई का सबसे ज़्यादा असर गरीबों पर ही पड़ा है । सरकारी कर्मचारी और कॉरपोरेट सेक्टर से जुड़े लोग कम प्रभावित हुए हैं। इसके पीछे वजह यह रही है की मुद्रास्फीति के अनुपात में इनकी सैलरी में भी इज़ाफा हुआ है । लेकिन असंगठित क्षेत्र के निम्न आय वर्ग के लोगों, जैसे रिक्शा चालक, रेहड़ी लगाने वालों की आमदनी पहले जैसी ही है और रोज़मर्रा में काम आने वाली चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं । इससे इनका गुजर-बसर काफी कठिन हो गया है”।
सही मात्रा में डाइट न लेने की वजह से इन्हें कई तरह की बीमारियां भी हो रही हैं । खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से इन्हें अपने भोजन में कटौती करनी पड़ती है जो सीधे इनकी सेहत पर असर डालती है । जामिया नगर के नई बस्ती में रहने वाली परवीना जिनके पति एक कपड़े की दुकान पर काम करते हैं, कहती हैं, “सब्जियां, आटा और दाल इतने मंहगे हो गए हैं कि कभी-कभी हम एक वक्त खाकर ही काम चलाते हैं । आमदनी तो पहले जैसी ही है लेकिन दाम कई गुना बढ़ गए हैं इसलिए बच्चों को मिलने वाले फल और दूध में कटौती करनी पड़ रही है” । ओखला गांव में मजदूरी करने वाले मो. इम्तियाज़ ने कहा, “हमें कभी काम मिलता है और कभी नहीं । हमारे पास खाने के लिए जिस दिन पैसे नहीं होते हम उस दिन किसी तरह कुछ खाकर ही काम चलाते हैं। इसकी वजह से मेरी छोटी लड़की को खून की कमी हो गई है” । सलीमा ने बताया की बच्चें जब भूखे होते हैं तो वो मिट्टी खाने लगते हैं जिसकी वजह से उनको उल्टियां होने लगती हैं और पेट भी ख़राब हो जाता है ।
अल्पपोषण से जूझ रहे इन लोगों के बारे में अंसारी हेल्थ सेंटर में डा. इरशाद हुसैन कहते हैं, “कम खाने के कारण महिलाएं सबसे ज़्यादा एनीमिया की शिकार हो रही है” । इन्होंने आगे कहा, “अगर हम थोड़ी सी जागरूकता दिखाएं तो इस महंगाई के दौर में भी पौष्टिक आहार ले सकते हैं । ज़रूरी नहीं है की मंहगे फल और सब्जियां ही गुणकारी होती हैं, सस्ती चीजों से भी उतनी ही स्तर की पौष्टिकता प्राप्त की जा सकती है । अस्सी रूपए किलो सेब के बराबर बीस रूपए किलो का अमरूद भी उतना ही फायदेमंद होता है । हमारे किचन में मौजूद गुड़ एनीमिया से ग्रस्त लोगों के लिए रामबाण का काम करता है” ।